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1. |
क्या तुमने उस शख़्श को भी देखा है जो रोज़ जज़ा को झुठलाता है |
2. |
ये तो वही (कम्बख्त) है जो यतीम को धक्के देता है |
3. |
और मोहताजों को खिलाने के लिए (लोगों को) आमादा नहीं करता |
4. |
तो उन नमाज़ियों की तबाही है |
5. |
जो अपनी नमाज़ से ग़ाफिल रहते हैं |
6. |
जो दिखाने के वास्ते करते हैं |
7. |
और रोज़मर्रा की मालूली चीज़ें भी आरियत नहीं देते ********* |
© Copy Rights:Zahid Javed Rana, Abid Javed Rana,Lahore, Pakistan |
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