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1. |
जिस वक्त आफ़ताब की चादर को लपेट लिया जाएगा |
2. |
और जिस वक्त तारे गिर पडेग़ें |
3. |
और जब पहाड़ चलाए जाएंगें |
4. |
और जब अनक़रीब जनने वाली ऊंटनियों बेकार कर दी जाएंगी |
5. |
और जिस वक्त वहशी जानवर इकट्ठा किये जायेंगे |
6. |
और जिस वक्त दरिया आग हो जायेंगे |
7. |
और जिस वक्त रुहें हवियों से मिला दी जाएंगी |
8. |
और जिस वक्त ज़िन्दा दर गोर लड़की से पूछा जाएगा |
9. |
कि वह किस गुनाह के बदले मारी गयी |
10. |
और जिस वक्त (आमाल के) दफ्तर खोले जाएं |
11. |
और जिस वक्त आसमान का छिलका उतारा जाएगा |
12. |
और जब दोज़ख़ (की आग) भड़कायी जाएगी |
13. |
और जब बेहिश्त क़रीब कर दी जाएगी |
14. |
तब हर शख़्श मालूम करेगा कि वह क्या (आमाल) लेकर आया |
15. |
तो मुझे उन सितारों की क़सम जो चलते चलते पीछे हट जाते |
16. |
और ग़ायब होते हैं |
17. |
और रात की क़सम जब ख़त्म होने को आए |
18. |
और सुबह की क़सम जब रौशन हो जाए |
19. |
कि बेशक यें (क़ुरान) एक मुअज़िज़ फरिश्ता (जिबरील) की ज़बान का पैग़ाम है |
20. |
जो बड़े क़वी अर्श के मालिक की बारगाह में बुलन्द रुतबा है |
21. |
वहाँ (सब फरिश्तों का) सरदार अमानतदार है |
22. |
और (मक्के वालों) तुम्हारे साथी मोहम्मद दीवाने नहीं हैं |
23. |
और बेशक उन्होनें जिबरील को (आसमान के) खुले (शरक़ी) किनारे पर देखा है |
24. |
और वह ग़ैब की बातों के ज़ाहिर करने में बख़ील नहीं |
25. |
और न यह मरदूद शैतान का क़ौल है |
26. |
फिर तुम कहाँ जाते हो |
27. |
ये सारे जहॉन के लोगों के लिए बस नसीहत है |
28. |
(मगर) उसी के लिए जो तुममें सीधी राह चले |
29. |
और तुम तो सारे जहॉन के पालने वाले ख़ुदा के चाहे बग़ैर कुछ भी चाह नहीं सकते ********* |
© Copy Rights:Zahid Javed Rana, Abid Javed Rana,Lahore, Pakistan |
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