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1. |
जब आसमान तर्ख़ जाएगा |
2. |
और जब तारे झड़ पड़ेंगे |
3. |
और जब दरिया बह (कर एक दूसरे से मिल) जाएँगे |
4. |
और जब कब्रें उखाड़ दी जाएँगी |
5. |
तब हर शख़्श को मालूम हो जाएगा कि उसने आगे क्या भेजा था और पीछे क्या छोड़ा था |
6. |
ऐ इन्सान तुम्हें अपने परवरदिगार के बारे में किस चीज़ ने धोका दिया |
7. |
जिसने तुझे पैदा किया तो तुझे दुरूस्त बनाया और मुनासिब आज़ा दिए |
8. |
और जिस सूरत में उसने चाहा तेरे जोड़ बन्द मिलाए |
9. |
हाँ बात ये है कि तुम लोग जज़ा (के दिन) को झुठलाते हो |
10. |
हालॉकि तुम पर निगेहबान मुक़र्रर हैं |
11. |
बुर्ज़ुग लोग (फरिश्ते सब बातों को) लिखने वाले (केरामन क़ातेबीन) |
12. |
जो कुछ तुम करते हो वह सब जानते हैं |
13. |
बेशक नेको कार (बेहिश्त की) नेअमतों में होंगे |
14. |
और बदकार लोग यक़ीनन जहन्नुम में जज़ा के दिन |
15. |
उसी में झोंके जाएँगे |
16. |
और वह लोग उससे छुप न सकेंगे |
17. |
और तुम्हें क्या मालूम कि जज़ा का दिन क्या है |
18. |
फिर तुम्हें क्या मालूम कि जज़ा का दिन क्या चीज़ है |
19. |
उस दिन कोई शख़्श किसी शख़्श की भलाई न कर सकेगा
और उस दिन हुक्म सिर्फ ख़ुदा ही का होगा ********* |
© Copy Rights:Zahid Javed Rana, Abid Javed Rana,Lahore, Pakistan |
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