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1. |
रात की क़सम जब (सूरज को) छिपा ले |
2. |
और दिन की क़सम जब ख़ूब रौशन हो |
3. |
और उस (ज़ात) की जिसने नर व मादा को पैदा किया |
4. |
कि बेशक तुम्हारी कोशिश तरह तरह की है |
5. |
तो जिसने सख़ावत की |
6. |
और अच्छी बात (इस्लाम) की तस्दीक़ की |
7. |
तो हम उसके लिए राहत व आसानी (जन्नत) के असबाब मुहय्या कर देंगे |
8. |
और जिसने बुख्ल किया, और बेपरवाई की |
9. |
और अच्छी बात को झुठलाया |
10. |
तो हम उसे सख्ती (जहन्नुम) में पहुँचा देंगे, |
11. |
और जब वह हलाक होगा तो उसका माल उसके कुछ भी काम न आएगा |
12. |
हमें राह दिखा देना ज़रूर है |
13. |
और आख़ेरत और दुनिया (दोनों) ख़ास हमारी चीज़े हैं |
14. |
तो हमने तुम्हें भड़कती हुई आग से डरा दिया |
15. |
उसमें बस वही दाख़िल होगा जो बड़ा बदबख्त है |
16. |
जिसने झुठलाया और मुँह फेर लिया |
17. |
और जो बड़ा परहेज़गार है वह उससे बचा लिया जाएगा |
18. |
जो अपना माल (ख़ुदा की राह) में देता है ताकि पाक हो जाए |
19. |
और लुत्फ ये है कि किसी का उस पर कोई एहसान नहीं जिसका उसे बदला दिया जाता है |
20. |
बल्कि (वह तो) सिर्फ अपने आलीशान परवरदिगार की ख़ुशनूदी हासिल करने के लिए (देता है) |
21. |
और वह अनक़रीब भी ख़ुश हो जाएगा ********* |
© Copy Rights:Zahid Javed Rana, Abid Javed Rana,Lahore, Pakistan |
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