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1. |
(ऐ रसूल) पहर दिन चढ़े की क़सम |
2. |
और रात की जब (चीज़ों को) छुपा ले |
3. |
कि तुम्हारा परवरदिगार न तुमको छोड़ बैठा और (न तुमसे) नाराज़ हुआ |
4. |
और तुम्हारे वास्ते आख़ेरत दुनिया से यक़ीनी कहीं बेहतर है |
5. |
और तुम्हारा परवरदिगार अनक़रीब इस क़दर अता करेगा कि तुम ख़ुश हो जाओ |
6. |
क्या उसने तुम्हें यतीम पाकर (अबू तालिब की) पनाह न दी (ज़रूर दी) |
7. |
और तुमको एहकाम से नावाकिफ़ देखा तो मंज़िले मक़सूद तक पहुँचा दिया |
8. |
और तुमको तंगदस्त देखकर ग़नी कर दिया |
9. |
तो तुम भी यतीम पर सितम न करना |
10. |
माँगने वाले को झिड़की न देना |
11. |
और अपने परवरदिगार की नेअमतों का ज़िक्र करते रहना ********* |
© Copy Rights:Zahid Javed Rana, Abid Javed Rana,Lahore, Pakistan |
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