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1. |
(ऐ रसूल) अपने परवरदिगार का नाम लेकर पढ़ो जिसने हर (चीज़ को) पैदा किया |
2. |
उस ने इन्सान को जमे हुए ख़ून से पैदा किया पढ़ो |
3. |
और तुम्हारा परवरदिगार बड़ा क़रीम है |
4. |
जिसने क़लम के ज़रिए तालीम दी |
5. |
उसीने इन्सान को वह बातें बतायीं जिनको वह कुछ जानता ही न था |
6. |
सुन रखो बेशक इन्सान जो अपने को ग़नी देखता है |
7. |
तो सरकश हो जाता है |
8. |
बेशक तुम्हारे परवरदिगार की तरफ (सबको) पलटना है |
9. |
भला तुमने उस शख़्श को भी देखा |
10. |
जो एक बन्दे को जब वह नमाज़ पढ़ता है तो वह रोकता है |
11. |
भला देखो तो कि अगर ये राहे रास्त पर हो |
12. |
या परहेज़गारी का हुक्म करे (तो रोकना कैसा) |
13. |
भला देखो तो कि अगर उसने (सच्चे को) झुठला दिया और (उसने) मुँह फेरा (तो नतीजा क्या होगा) |
14. |
क्या उसको ये मालूम नहीं कि ख़ुदा यक़ीनन देख रहा है |
15. |
देखो अगर वह बाज़ न आएगा तो हम परेशानी के पट्टे पकड़ के घसीटेंगे |
16. |
झूठे ख़तावार की पेशानी के पट्टे |
17. |
तो वह अपने याराने जलसा को बुलाए |
18. |
हम भी जल्लाद फ़रिश्ते को बुलाएँगे |
19. |
(ऐ रसूल) देखो हरगिज़ उनका कहना न मानना और सजदे करते रहो और कुर्ब हासिल करो (सजदा) ********* |
© Copy Rights:Zahid Javed Rana, Abid Javed Rana,Lahore, Pakistan |
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