بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ |
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1. |
(ग़ाज़ियों के) सरपट दौड़ने वाले घोड़ो की क़सम |
2. |
जो नथनों से फ़रराटे लेते हैं |
3. |
फिर पत्थर पर टाप मारकर चिंगारियाँ निकालते हैं फिर सुबह को छापा मारते हैं |
4. |
(तो दौड़ धूप से) बुलन्द कर देते हैं |
5. |
फिर उस वक्त (दुश्मन के) दिल में घुस जाते हैं |
6. |
(ग़रज़ क़सम है) कि बेशक इन्सान अपने परवरदिगार का नाशुक्रा है |
7. |
और यक़ीनी ख़ुदा भी उससे वाक़िफ़ है |
8. |
और बेशक वह माल का सख्त हरीस है |
9. |
तो क्या वह ये नहीं जानता कि जब मुर्दे क़ब्रों से निकाले जाएँगे |
10. |
और दिलों के भेद ज़ाहिर कर दिए जाएँगे |
11. |
बेशक उस दिन उनका परवरदिगार उनसे ख़ूब वाक़िफ़ होगा ********* |
© Copy Rights:Zahid Javed Rana, Abid Javed Rana,Lahore, Pakistan |
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